मेरा नाम किरण है। दिसंबर 2024 में मैंने ZealGrit Foundation जॉइन किया। मैं आपको अपनी कहानी सुनाना चाहती हूँ।

मैं बिहार के सुपौल जिले की रहने वाली हूँ। मेरे पिता किसान हैं और मेरी माँ गृहिणी। मेरे दो बड़े भाई हैं, और मैं अपने पिता की इकलौती बेटी हूँ। यह मेरे लिए बहुत गर्व की बात है में अपने परिवार में पहली लड़की हूँ जो जॉब करती है। मेरे परिवार में कई और लड़कियाँ हैं, लेकिन उनमें से कोई नौकरी नहीं करती। हालाँकि, मेरे भाई सब किसी न किसी काम में व्यस्त हैं। मैंने बीएड और बीए की पढ़ाई पूरी की और फिलहाल एमए कर रही हूँ।
जब मैंने ZealGrit में वैकेंसी के बारे में सुना, तो मुझे लगा कि मुझे आवेदन करना चाहिए। मुझे बहुत स्पष्ट नहीं था कि मेरा क्या रोल होगा और कितना समय देना पड़ेगा। पर जब इंटरव्यू के लिए गई, तो सबसे पहले Anshika से मुलाकात हुई। उन्होंने मुझे बताया कि ZealGrit किस तरह का काम करता है, और उनका फोकस क्षेत्र क्या है। उन्होंने मेरे बारे में जानने की कोशिश की और मुझे मेरी भूमिका स्पष्ट की। फिर मेरी मुलाकात सरोज मैम से हुई। हालाँकि, हमारे ऑफिस में सीनियर-जूनियर जैसा माहौल नहीं है, फिर भी मैं उन्हें मैम कहकर संबोधित करना पसंद करती हूँ।
दोनों की बातचीत और काम करने का तरीका देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा और एहसास हुआ कि मैं यहां काम कर सकती हूं। उन्होंने बताया कि मुझे आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं के साथ काम करना होगा। हमें उनके और उनके बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य के बारे में जागरूक करना होगा। शुरुआत में, मुझे यह सब थोड़ा घबराई क्योंकि यह क्षेत्र मेरे लिए नया था। लेकिन उन्होंने कहा, "आपको हर चीज़ की उचित ट्रेनिंग दी जाएगी।"
नई शुरुआत, नई सीख
पहले ही दिन, टीम ने मुझे फील्ड में ले जाकर काम समझाया। मैंने महसूस किया कि मैं सुपौल से होने के कारण इस काम को बेहतर तरीके से कर सकती हूं, क्योंकि मैं यहां की भाषा और संस्कृति से परिचित हूं। ट्रेनिंग के दौरान मेरी पहली जिम्मेदारी थी कि इंग्लिश में बने मटेरियल को हिंदी में ट्रांसलेट करूँ, ताकि समुदाय को इसे बेहतर तरीके से समझाया जा सके। मेरे पास लैपटॉप था, लेकिन मुझे इसे चलाना ज्यादा नहीं आता था। टीम ने मुझे बहुत धैर्य और प्यार से सिखाया। Google drive, Word Document, Excel Sheet, जैसी चीज़े मैंने सबसे पहले सीखी।
फील्ड में काम करने का अनुभव एक अलग दुनिया थी। मुझे पहली बार पता चला कि कैसे पोषण और स्वास्थ्य के बारे में हमारी समझ कई भ्रांतियों से प्रभावित होती है। इन भ्रांतियों को और सही से समझने के लिए और उनपे काम करने के लिए, महिलाओं और उनके परिवारजनों से साथ एक संबंध बनाना ज़रूरी था। उदाहरण के लिए, जब हम उनके घरों में जाते हैं, तो उन्हें अपने काम के प्रति दिलचस्पी और भरोसा महसूस कराना बहुत जरूरी है।अगर वह जमीन पर बैठकर बच्चे को तेल मालिश कर रही है, तो हमें भी जमीन पर बैठना चाहिए ना की कोई कुर्सी खोजनी चाहिए। इससे उन्हें समानता का आभास होता है।

अब दो महीने बाद, मुझे लगता है कि मैं इतनी सक्षम हो चुकी हूं कि किसी नए घर में दो-तीन विजिट के बाद ही एक रिश्ता बना सकती हूँ। मैं उनके साथ परिवार नियोजन, पोषण, और स्वास्थ्य के मुद्दों पर खुलकर बात कर सकती हूँ। यह आत्मविश्वास हमारी ऑफिस ट्रेनिंग से आया है, जहाँ हम रियल-लाइफ सिचुएशन्स के जरिए सिखते हैं। हम रोल-प्ले के ज़रिए सीखते हैं कि अलग-अलग लोग अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया देते हैं। इससे हमें यह समझने में मदद मिलती है कि किसी भी स्थिति में धैर्य और समझदारी से काम कैसे लेना चाहिए। हमारी ट्रेनिंग केवल काम तक सीमित नहीं रहती, बल्कि यह हमें जीवन की वास्तविक चुनौतियों का सामना करना भी सिखाती है।

मेरे सपने और ZealGrit का साथ
ZealGrit का माहौल मेरे लिए परिवार जैसा है। यहां चार लड़कियां साथ काम करती हैं, और हम सब एक-दूसरे के साथ दोस्ती और आपसी समझ से काम करते हैं। मेरा घर ऑफिस से 45 मिनट की दूरी पर है, लेकिन फिर भी मैं ऑफिस के नज़दीक किराये के कमरे में रहती हूं, ताकि कभी भी में लेट ना हो जाऊँ। जब मैंने अपनी पहली कमाई से अपने घर का किराया ख़ुद दिया तो मुझे बहुत ख़ुशी हुई जिसका में शब्दों में वर्णन नहीं कर सकती।
जब में जॉब ढूँढ रही थी, तो मेरी पहली सोच थी पैसे कमाने की। मेरा सपना है कि मैं खुद का एक छोटा सा घर बनाऊँ। शादी से पहले लड़कियों से कहा जाता है कि शादी के बाद अपनी मर्जी करना, लेकिन शादी के बाद ससुराल वाले कहते हैं कि यह तुम्हारा घर नहीं है। यह विचारधारा मुझे पसंद नहीं थी और इसलिए में जॉब करना चाहती थी।
ZealGrit ने न केवल मुझे अपना छोटा सा सपना साकार करने का अवसर दिया, बल्कि मुझे यह भी सिखाया कि मैं अपने छोटे-छोटे प्रयासों से समुदाय में बड़ा बदलाव ला सकती हूं।